दिल्ली के शराब घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई अब 19 जून को होगी. इस मामले में अरविन्द केजरीवाल ने अपनि अर्जी में अपनी पत्नी सुनता केजरीवाल को अपने मेडिकल चेकअप में विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल होने की अनुमति देने की मांग की है. आज कोर्ट में सुनवाई के दौरान जेल अथॉरिटी ने कहा की उन्हें कोर्ट का आदेश रात में ही मिला है और इस मामले पर अपना जबाब दाखिल करने के लिए उन्हें कुछ समय चाहिए. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की तारीख 19 जून तय की है.

दूसरी ओर, दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को आबकारी निति मामले से सम्बंधित अदालती कार्यवाही की विडियो रिकॉर्डिंग सोशल मिडिया से हटाने का निर्देश दिया है. यह निर्देश तब आया जब वीडियो में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रिय संयोजक अरविन्द केजरीवाल को एक अधीनस्थ अदालत में अपनी बात रखते हुए देखा गया.

जस्टिस नीना बंसल कृष्णा और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के विडियो कांफ्रेंसिंग नियमो के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनीता केजरीवाल समेत छ लोगो और सोशल मिडिया प्लेटफार्म ‘एक्स, मेटा, और यूट्यूब’ को नोटिस जारी किये है. हाईकोर्ट ने सोशल मिडिया प्लेटफोर्मो को यह भी निर्देश दिए है कि यदि उनके संज्ञान में ऐसी सामग्री दोबारा पोस्ट की जाती है तो उसे भी हटा दें. हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 9 जुलाई 2024 की तारीख तय की है.

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यह मामला हाईकोर्ट में अधिवक्ता वैभव सिंह द्वारा दायर याचिका के आधार पर चल रहा है. वैभव सिंह ने अपनी याचिका में दावा किया है कि दिल्ली आबकारी निती मामले में गिरफ़्तारी के बाद जब अरविन्द केजरीवाल को 28 मार्च 2024 को एक अधीनस्थ अदालत में पेश किया गया तो उन्होंने अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से अपनी बात रखने का विकल्प चुना और इस कार्यवाही की विडियो रिकॉर्डिंग सोशल मिडिया पर पोस्ट की गई, जो कि अदालत से सम्बंधित विडियो कांफ्रेसिंग के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय नियम, 2021 के तहत प्रतिबंधित है. वैभव सिंह ने अपनी याचिका में यह भी दावा किया कि यह विडियो सुनीता केजरीवाल और अन्य लोगो द्वारा पोस्ट किया गया था.

इस घटना ने ना केवल क़ानूनी समुदाय बल्कि आम जनता में भी एक बड़ी चर्चा का विषय बना दिया है. दिल्ली उच्च न्यायालय के विडियो कांफ्रेसिंग नियम, 2021 के अनुसार, अदालतों से सम्बंधित किसी भी कार्यवाही की रिकॉर्डिंग को सार्वजानिक रूप से साझा करना निषिध्द है. इस मामले में, अरविन्द केजरीवाल की अदालत में उपस्थिति की विडियो रिकॉर्डिग का सोशल मिडिया पर प्रसार होना स्पष्ट रूप से इन नियम का उल्लंघन करना है.

नियमो का यह उल्लंघन न केवल क़ानूनी प्रतिक्रियाओं की गोपनीयता और सुरक्षा को खतरे ने डालता है बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की शुचिता पर भी सवाल खड़े करता है. सोशल मिडिया पर विडियो का प्रसार होने से, यह संभव है कि मामले की निष्पक्ष सुनवाई प्रभावित हो सकती है.

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जस्टिस नीना बंसल कृष्णा और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने इस याचिका पर गंभीरता से विचार किया है और इस प्रकार के उल्लंघनो को रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी किये है. सोशल मिडिया प्लेटफोर्मो को निर्देशित किया गया है कि वे इस प्रकार की सामग्रियों की पहचान करे उन्हें तुरन्त हटाएं और भविष्य में ऐसी सामग्री दोबारा पोस्ट न हो, यह सुनिश्चित करें.

इस मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई 2024 को होगी, और जब तक कोर्ट ने सभी सम्बंधित पक्षों को अपने जवाब दाखिल करने का समय दिया है. इस मामले का परिणाम न केवल अरविन्द केजरीवाल और उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह भविष्य में अदलत की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग और उसके सार्वजानिक प्रसार को भी स्पष्ट करेगा.

समाज में मानुनी जागरूकता बढाने के लिए इस मामले की चर्चा और इसका अध्यन आवश्यक है ताकि अदालतों के नियमो और प्रक्रियाओ का पालन किया जा सके और न्यायिक प्रक्रिया की गरिमा और निष्पक्षता बनी रहे.

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