मोबाइल-टावर ऑपरेटर इंडस टावर्स में वोडाफ़ोन समूह की 21.5% हिस्सेदारी, जिसका मूल्य $2.3 बिलियन है, के संभावित बिक्री की चर्चा में है. रॉयटर्स ने 14 जून 2024 को इस घटनाक्रम से परिचित सूत्रों के हवाले से बताया कि यह हिस्सेदारी अगले सप्ताह ब्लाक डील के माध्यम से बेचीं जा सकती है. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि अगर मांग कमजोर रही तो अंतिम सौदा वोडाफ़ोन की इंडस टावर्स में पूरी हिस्सेदारी से कम हो स्काट है.
वोडाफ़ोन की यह हिस्सेदारी विभिन्न समूह संस्थानों के माध्यम से है. इंडस टावर्स, जो भारत जा सबसे बड़ा टेलिकॉम टावर ऑपरेटर है, वोडाफ़ोन के लिए एक महत्वपूर्ण निवेश रहा है. लेकिन वोडाफ़ोन आईडिया के पास महत्वाकांक्षी 5G रोलआउट और 4G कवरेज योजनाओ के चलते यह सौदा महत्वपूर्ण हो सकता है, क्यूंकि वोडाफ़ोन आईडिया बड़े पैमाने पर कोष जुटाने की योजना बना रही है.
संभावित निवेशक और सौदे का प्रबंधन
रॉयटर्स के अनुसार, वोडाफ़ोन ने इस सौदे के प्रबंधन में मदद के लिए बैंक ऑफ़ अमेरिका, मॉर्गन स्टेनली और बीएनपी पारिबा को नियुक्त किया है. यह स्पष्ट करता है कि वोडाफ़ोन इस बिक्री को सफल बनाने के लिए कोई कसर नही छोड़ रही है है.
भारती एयरटेल, जो इंडस टावर्स की सबसे बड़ी शेयरधारक है और जिसके पास 47.95% हिस्सेदारी है, ने 24 अप्रैल 2024 को उन सब खबरों का खंडन किया था कि वह इंडस टावर्स में वोडाफ़ोन समूह की 21.05% हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत कर रही है. एयरटेल ने अपने स्पष्टीकरण में कहा था, “इंडस दूरसंचार उद्योग को महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी है और एयरटेल इस पर बहुत अधिक निर्भर है. इसलिए एयरटेल हमेशा ये सुनिश्चित करेगी कि इंडस मजबूत स्वास्थ्य और वित्तीय रूप से स्थिर रहे.
शेयर बाजार में प्रतिक्रिया
इस समाचार के बाद वोडाफ़ोन आईडिया के शेयरो में तेजी से उछाल आया, जबकि इंडस टावर्स के शेयर दिन के उच्चतम स्तर से गिर गए. यह बाजार की प्रतिक्रिया को दर्शाता है, जो निवेशको की वोडाफ़ोन की हिस्सेदारी बिक्री को लेकर उत्सुकता और चिंताओं को उजागर करता है.
वित्तीय दृष्टिकोण
वोडाफ़ोन की इंडस टावर्स में हिस्सेदारी की बिक्री उनके 5G और 4G योजनाओं के लिए धन जुटाने ने सहायक हो सकती है. हालाँकि, अगर मांग कमजोर रही तो वोडाफ़ोन को अपनी पूरी हिस्सेदारी से कम मूल्य पर भी समझौता करना पड़ सकता है. यह स्थिति वोडाफ़ोन के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, खासकर तब जब वे अपने नेटवर्क विस्तार और सेवा सुधार के लिए योजना बना रहे है.
इंडस टावर्स के लिए संभावित प्रभाव
अगर वोडाफ़ोन अपनी हिस्सेदारी बेच देती है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि नए निवेशक कौन होते है और इंडस टावर्स का भविष्य कैसे प्रभावित करते है. इंडस टावर्स का भारत के उद्योग दूरसंचार में महत्वपूर्ण स्थान है और वित्तीय और परिचालन स्वास्थ्य का स्थिर रहना आवश्यक है.
भारती एयरटेल के लिए भी यह स्थिति महत्वपूर्ण होगी. एयरटेल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वे इंडस टावर्स के मजबूत स्वास्थ्य वित्तीय स्थिरता को सुनिश्चित करेंगे. इसलिए नए निवेशको के आने पर एयरटेल की भूमिका और जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण होगी.
वोडाफ़ोन की इंडस टावर्स में हिस्सेदारी की संभावित बिक्री टेलिकॉम उद्योग में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है. इस सौदे के सफल होने के बाद वोडाफ़ोन अपने 5G और 4G विस्तार योजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन जुटा सकती है, जबकि इंडस टावर्स को नए निवेशको के साथ काम करने की आवश्यकता हो सकती है. भारती एयरटेल की भूमिका नही इस संदर्भ में महत्वपूर्ण होगी, क्यूंकि वे इंडस टावर्स का सबसे बड़ा शेयर धारक है और इसके संचालन में उनकी महत्वपूर्ण भागीदारी है.