तमिल सिनेमा में बदले की कहानी एक आम विषय है, लेकिन इस फिल्म ने अपनी अनूठी पटकथा और संरचना से इसे खास बना दिया. निर्देशक की इस पहल के लिए तारीफ की जानी चाहिए, क्यूंकि उन्होंने पारंपरिक बदले की कहानी में नया मोड़ डाला है.
फिल्म में विजय सेतुपति चेन्नई के केके नगर में एक सेलून चलाते है. वे अपनी पत्नी को एक दुर्घटना में खो चुके है और उनकी एक मात्र बेटी है. वे अपने घर के पूजाघर में एक कूड़ेदान रखते है, जिसमे उनकी पत्नी का कुछ सामान है. यह कूड़ेदान चोरी हो जाता है, और वियज सेतुपति इसे ढूडने के लिए पुलिस स्टेशन जाते है. इंस्पेक्टर नटी उनकी शिकायत को हलके में लेते है, लेकिन जब विजय सेतुपति रिश्वत में पांच लाख देने की पेशकश करते है, तो नटी एक टीम बनाकर कूड़ेदान को तलाशने का काम शुरू करते है. इसके बाद की कहानी उसी खोज पर आधारित है.
कहानी की मुख्य धुरी एक कूदेद्कान पर आधारित है, जो शुरू में अजीब लग सकता है. लेकिन इसी कूड़ेदान में एक महत्वपूर्ण घटना छिपी हुयी है, जिसका खुलासा फिल्म के क्लाईमेक्स में सनसनीखेज तरीके से किया गया है.
विजय सेतुपति के लगातार आसफल्ताओ के बाद इस फिल्म से सफलता की उम्मीद की जा सकती है. उनके किरदार का महाराजा नाम क्यों रखा गया और उसे “मकान” जैसा क्यों दिखाया गया, यह सवाल उठता है. फ्लेशबैक में विजय सेतुपति स्वाभाविक दिखते है, लेकिन आधेड उम्र में उनके लुक पर सवाल उठते है.
फिल्म में कोई प्रमुख हिरोइन नही है. ममता मोहनदास एक शारीरिक शिक्षा शिक्षिका की भूमिका में है, जो विजय की बेटी के स्कूल में काम करती है. उनकी भूमिका सिमित है और दर्शको को उनसे ज्यादा उम्मीद नही रखनी चाहिय. दिव्या भर्ती विजय की पत्नी के रूप में एक द्रश्य में नजर आती है.
जाँच दल में निरीक्षक नेटी, उप-निरीक्षक अरुलदास और कांस्टेबल मुनीशकान्त शामिल है, जो कूड़ेदान की खोज में लगे है. सिंगमपुली मुखबिर की भूमिका में है. ‘बॉयज’ के मणिकंदन ने भी लंबे समय बाद अभिनय किया है.
अनुराग कश्यप एक बिजली की दुकान चलाते है और रात में चोरी करते है. अब्रामी उनकी पत्नी की भूमिका में है. भारतीराजा, जो विजय की दुकान पर काम करते है, कुछ दृश्यों में दिखाई देते है.
फिल्म में कई पात्र, जिनका उपयोग छोटे लेकिन महत्वपूर्ण रूप में किया गया है.
अजनीश लोकनाथ का बैकग्राउंड स्कोर और दिनेश पुरुषोतम की सिनेमैटोग्राफी उत्कृष्ट है. एडिटर फिलोगिनराज ने फिल्म की स्क्रिप्ट को अच्छी तरह समझकर एडिट किया है.
फिल्म के हिंसा के दृश्य और चोरो द्वारा यातना के दृश्य परिवार के साथ देखने लायक नही है. इस प्रकार की फिल्मे आमतौर पर परिवार के बजाय व्यक्तिगत रूप से देखने के लिए ज्यादा उपयुक्त होती है.
कब होगी रिलीज ?
विजय सेतुपति की “महाराजा” फिल्म 14 जून 2024 को रिलीज होने की आशंका जताई जा रही है.